किशनगंज, 5 जून 2025: किशनगंज के सदर अस्पताल में बायो-मेडिकल वेस्ट के अनुचित प्रबंधन के कारण मरीजों और अस्पताल स्टाफ को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल परिसर में पोस्टमार्टम हाउस के निकट तीन अलग-अलग रंग के जैविक कचरा प्रबंधन कक्ष बनाए गए हैं, जहां लेबर रूम, ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी वार्ड, ड्रेसिंग रूम और पैथोलॉजी लैब से उत्पन्न बायो-मेडिकल वेस्ट को संग्रहित किया जाता है।
हालांकि, इन कक्षों में कचरे का उचित पृथक्करण और निपटान नहीं हो पा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। पीला कक्ष मानव अंग, मरहम-पट्टी, प्लास्टर कास्ट, रक्त से संक्रमित कपड़े और एक्सपायर्ड दवाइयों के लिए है; लाल कक्ष संक्रमित प्लास्टिक अपशिष्ट जैसे ट्यूबिंग, डिप सेट, कैथेटर और दस्तानों के लिए; जबकि नीला कक्ष कांच और धातु के अपशिष्ट जैसे इंजेक्शन की शीशियां और पैथोलॉजी स्लाइड्स के लिए निर्धारित है।
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन आवश्यक है, क्योंकि यह मानव और पशु-पक्षियों के लिए खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में तीन कक्षों का निर्माण कर कचरे का संग्रहण किया जाता है, और एजेंसी द्वारा प्रतिदिन कचरे को उठाकर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भागलपुर में निस्सारण के लिए भेजा जाता है।
इसके बावजूद, अस्पताल में कचरे की अव्यवस्था बनी हुई है, जिससे मरीजों और स्टाफ को असुविधा हो रही है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
यह स्थिति अस्पताल की स्वच्छता और मरीजों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।