बिलासपुर, महेंद्र सिंह राय
मस्तूरी विकासखंड के विकासखंड स्त्रोत केंद्र समन्वयक (बीआरसी) पद को लेकर विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है। रिक्त पद के लिए जिन आठ कर्मचारियों को पात्र माना गया है, उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कार्य में लापरवाही बरतने के चलते पूर्व में निलंबित हो चुके हैं। इसके बावजूद ये कर्मचारी राजनीतिक पकड़ और विभागीय अधिकारियों से साटगांठ के बल पर बीआरसी बनने का सपना देख रहे हैं।
जिला पंचायत बिलासपुर कार्यालय में आज शाम 4 बजे इन आवेदकों का साक्षात्कार होना है, जिसके बाद मस्तूरी बीआरसी के पद पर किसी एक का चयन किया जाएगा।
स्थानीय शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि ऐसे लापरवाह कर्मचारियों को बीआरसी जैसा जिम्मेदार पद मिल गया तो मस्तूरी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था और अधिक चरमराएगी। क्षेत्र में पहले ही स्कूलों की हालत जर्जर है—कहीं छत नहीं, तो कहीं टेबल-कुर्सी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। मध्यान्ह भोजन, पीने का पानी और खेल सामग्री जैसी जरूरी चीजों की भी भारी कमी है।
ऐसे में यदि बीआरसी पद किसी गैर-जिम्मेदार या विवादित कर्मचारी को सौंपा गया, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक होगा, बल्कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को भी बढ़ावा मिलेगा।
सवाल यह है कि क्या विभाग मेरिट और ईमानदारी को प्राथमिकता देगा या फिर सियासी दबाव में निर्णय लिया जाएगा?