ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत चेंगा और महानंदा नदियों के विभिन्न घाटों पर प्रस्तावित बालू उत्खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति से पूर्व लोक जनसुनवाई कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस जनसुनवाई की अध्यक्षता जिला भू-अर्जन पदाधिकारी संदीप कुमार ने की। सखुआडाली, कुकुरबाधी, दिगिनगोला और चमरानी सहित अन्य घाटों से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यशाला में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी आपत्तियाँ दर्ज कराईं। मुख्य पार्षद सिकंदर पटेल, “केयर फॉर ठाकुरगंज” संस्था के संस्थापक डॉ. आसिफ सईद और प्रमुख प्रतिनिधि मोहम्मद सद्धाम ने प्रशासन से सवाल किया कि आखिर जनहित की अनदेखी कर केवल राजस्व के लिए घाट संचालन कब तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि सिंगल लेन सड़कों पर भारी बालू लदे वाहनों के आवागमन से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की सड़कें और नाले बर्बाद हो रहे हैं, जिससे स्कूली बच्चों तक को असुरक्षा का भय है। दुर्घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है।
स्थानीय ग्रामीणों ने मांग की कि सरकार नदी किनारे बसे पंचायतों को “खनन प्रभावित गांव” घोषित करे, जिससे लोग सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खनन कार्य नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है, जिससे नदियों की धाराएं तक बदलने लगी हैं। कंट्रोल रूम और अधिकारियों से शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती, उल्टे विरोध करने वालों पर मुकदमे कर दिए जाते हैं। इसका उदाहरण सखुआडाली पंचायत के झीलाबाड़ी गांव में सैकड़ों ग्रामीणों पर दर्ज किया गया मामला है।
जनसुनवाई में भाग ले रहे पार्षदों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने घाटों की निगरानी के लिए प्रबुद्धजनों की एक स्वतंत्र कमेटी गठित करने की मांग की। इस पर अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि भविष्य में जहां भी बालू घाटों का संचालन होगा, वहां जनजागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। साथ ही पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य शिविरों और स्थानीय लोगों को रोजगार देने की योजना भी लागू की जाएगी।
इस अवसर पर जिला खनन पदाधिकारी प्रवण कुमार, बीडीओ अमहर अब्दाली सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।