बिहार ब्यूरो एस एन हसनैन
किशनगंज
जिले में डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ एक बड़ी और संगठित लड़ाई का आगाज़ हो चुका है।पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से स्टॉप डायरिया अभियान-2025 की आज औपचारिक शुरुआत की गई, जो आगामी 14 सितंबर 2025 तक चलेगा।इस दो माह के विशेष अभियान में न केवल स्वास्थ्य विभाग, बल्कि शिक्षा, आईसीडीएस, जल-नल, नगर निकाय, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, जीविका सहित कई विभागों को सक्रिय रूप से जोड़ा गया है। सोमवार को जिला स्तरीय कन्वर्जेंस बैठक में जिलाधिकारी श्री विशाल राज ने सभी विभागों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे कि अभियान को “जनांदोलन” के रूप में चलाया जाए — और आज उसी का जमीनी क्रियान्वयन शुरू हो चुका है।
सभी प्रखंडों में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों की अगुवाई में हुआ अभियान का शुभारंभ
आज जिले के सभी प्रखंडों में स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित समारोहों के माध्यम से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत की गई।इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाएं, जीविका दीदियां, पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक और आम नागरिक मौजूद रहे।स्थानीय जनभागीदारी के साथ प्रारंभ हुए इन आयोजनों से यह संदेश गया कि यह केवल विभागीय कार्यवाही नहीं, बल्कि हर समुदाय की सामूहिक जिम्मेदारी है। ठाकुरगंज प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एख्लाकुर रहमान ने शुभारंभ के अवसर पर कहा की “डायरिया एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन यह 100% रोके जाने योग्य है। यदि हम हर मां को सही जानकारी दें, घर-घर ओआरएस और जिंक पहुंचा दें, तो हम एक भी जान को खतरे में नहीं पड़ने देंगे। यह अभियान सिर्फ दवाओं का वितरण नहीं, जीवन की सुरक्षा का सामाजिक संकल्प है।”
आशाएं कर रही हैं घर-घर संपर्क
जिले के सभी प्रखंडों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने आज से घर-घर दस्तक देना शुरू कर दिया है।वे न केवल ओआरएस और जिंक की किट बांट रही हैं, बल्कि प्रत्येक परिवार को यह भी समझा रही हैं कि डायरिया के लक्षण क्या हैं, कब चिकित्सक के पास जाना चाहिए, और घरेलू उपाय कैसे काम करते हैं।सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा की “यह अभियान सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं रहेगा। हर स्वास्थ्यकर्मी पूरी संवेदनशीलता के साथ ग्रामीणों के बीच काम कर रहा है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रत्येक परिवार को सही ज्ञान मिले और कोई बच्चा इलाज के अभाव में गंभीर न हो।”
जागरूकता रथ बना जिले का ‘चलता-फिरता स्वास्थ्य दूत’
जागरूकता के व्यापक प्रसार के लिए सिविल सर्जन कार्यालय से रवाना किया गया ई-रिक्शा आधारित रथ अब जिले के विभिन्न प्रखंडों, पंचायतों और स्कूलों तक पहुंच चुका है।यह रथ न केवल ऑडियो संदेश चला रहा है, बल्कि पोस्टर, फ्लेक्स, बैनर, और लाइव डेमो के माध्यम से बच्चों और अभिभावकों को यह समझा रहा है कि समय पर ओआरएस घोल देना और जिंक की खुराक बच्चों की जान कैसे बचा सकती है।सिविल सर्जन ने कहा “हम चाहते हैं कि यह रथ केवल प्रचार न करे, बल्कि हर घर तक एक भावनात्मक जुड़ाव बनाए। यह रथ हमारी आशाओं, सेविकाओं और समुदाय के बीच सेतु का कार्य करेगा। जब बच्चा स्वस्थ रहेगा तभी समाज आगे बढ़ेगा।”
प्रत्येक विभाग की भूमिका स्पष्ट, अभियान बना ‘कन्वर्जेंस का मॉडल’
जिले में यह पहला अवसर है जब डायरिया जैसे एक विशिष्ट विषय पर सभी विभागों को मिशन मोड में एकजुट किया गया है। स्वास्थ्य विभाग किट वितरण, परामर्श, और उपचार की जिम्मेदारी निभा रहा है। आईसीडीएस सेविकाओं के माध्यम से मातृ-शिशु संवाद, पोषण परामर्श और होम विज़िट पर काम कर रहा है। शिक्षा विभाग विद्यालयों में बच्चों के माध्यम से हाथ धोना, स्वच्छता, पानी उबालना जैसे व्यवहारों को जीवनशैली में शामिल कराने पर ज़ोर दे रहा है। नगर परिषद और जल-नल विभाग पेयजल स्रोतों की सफाई, जल परीक्षण, और नालियों की सफाई कर रहे हैं।ग्रामीण विकास व जीविका समूह भी जन-जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे हैं। अभियान के अंतर्गत पूर्व चिन्हित संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कि बाढ़ प्रभावित गांव, शहरी झुग्गियां, ईंट-भट्ठा मजदूर बस्तियां, और सीमावर्ती इलाकों में सघन स्वास्थ्य जांच और किट वितरण का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया की “हमारा लक्ष्य केवल पहुंच नहीं, प्रभावी हस्तक्षेप है। जहां खतरा अधिक है, वहां हमारी तैयारी भी अधिक है। इन क्षेत्रों में प्रतिदिन निगरानी दलों को भेजा जा रहा है।
डीएम की अपील – “हर मां को मिले जानकारी, हर बच्चा हो सुरक्षित”
जिलाधिकारी श्री विशाल राज ने जिले के नागरिकों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा “एक ओआरएस घोल और 14 जिंक की गोली एक बच्चे की जान बचा सकती है। यह अभियान तब सफल होगा जब समाज जागेगा, जब हर मां अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए सही फैसला लेगी। मैं अपील करता हूं कि लोग स्वास्थ्य कर्मियों से सहयोग करें, जानकारी लें और इस अभियान को अपनाएं।” आज जिस तरह से जिले के सभी प्रखंडों में लोगों की भागीदारी, जागरूकता रथ की सराहना और स्वास्थ्य कर्मियों की सक्रियता दिखाई दे रही है, उससे यह स्पष्ट है कि स्टॉप डायरिया अभियान अब सिर्फ योजना नहीं रहा, यह लोगों की सोच का हिस्सा बनता जा रहा है। यह जनसहभागिता ही इस प्रयास को ऐतिहासिक सफलता की ओर ले जाएगी।
“दस्त से एक भी बच्चा न मरे — यही है किशनगंज का संकल्प”
“हर घर ओआरएस-जिंक, हर मां के पास हो जानकारी”
“15 जुलाई से 14 सितंबर – बच्चों की सुरक्षा को समर्पित दो महीने”