किशनगंज (बिहार)।
बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू होते ही किशनगंज जिला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। आशंका जताई जा रही है कि यहां बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों की पहचान हो सकती है और आगामी सूची में सबसे ज्यादा नामों की कटौती यहीं से हो सकती है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी मसौदा मतदाता सूची में कई नाम संदेह के घेरे में बताए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वोटर लिस्ट में घुसपैठियों के नाम शामिल होने की शिकायतें लंबे समय से मिलती रही हैं। अब जब मतदाता सूची का पुनरीक्षण हो रहा है, तो व्यापक जांच के बाद बड़ी संख्या में फर्जी या अवैध वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, किशनगंज जिले की सीमाएं बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल से सटी हुई हैं, जिससे यहां अवैध घुसपैठ की संभावनाएं अधिक रहती हैं। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के तहत ऐसे लोगों के नाम सूची में जोड़वाने में सहायक रहे हैं।
मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए एक महीने का समय निर्धारित किया गया है। इस दौरान स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।
चुनाव आयोग ने लोगों से अपील की है कि वे स्वयं सूची में अपने नाम की जांच करें और किसी भी फर्जीवाड़े की सूचना तुरंत संबंधित कार्यालय को दें।
अगर यह शंका सही साबित होती है, तो बिहार में यह पहली बार होगा जब एक जिले से इतनी बड़ी संख्या में नामों की कटौती होगी, जो चुनावी राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।