नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है, जो राजनीतिक तौर पर काफी अहम माना जा रहा है। केंद्र सरकार इस सत्र के दौरान आठ प्रमुख विधेयकों को पेश करने की तैयारी में जुटी हुई है। इनमें तीन विधेयक पुराने विधेयकों के स्थान पर लाए जाएंगे, जबकि कुछ बिलों को लेकर विपक्ष पहले से ही आक्रामक रुख अपनाए हुए है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जिन विधेयकों को पेश कर सकती है उनमें न्यायिक सुधार, डिजिटल सुरक्षा, कृषि सुधार से जुड़े मसले और कुछ प्रशासनिक बदलाव शामिल हैं। इनमें से कुछ विधेयकों को लेकर विपक्ष ने पहले ही तीव्र विरोध जताया है, ऐसे में सत्र के दौरान संसद में जोरदार हंगामे के आसार हैं।
विपक्षी दल अडानी मुद्दे, मणिपुर हिंसा, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मामलों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना चुके हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस सत्र को सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का अवसर बताया है।
मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के भीतर और बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। साथ ही, सत्र के संचालन को सुचारु बनाए रखने के लिए स्पीकर और सभापति की ओर से सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है।
सत्र की शुरुआत 21 जुलाई से होगी और यह 11 अगस्त तक चलने की संभावना है। इस दौरान कुल 17 बैठकें हो सकती हैं।
जनता और विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह सत्र महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के लिए कितनी दूर तक सफल होगा या फिर राजनीतिक टकराव की भेंट चढ़ जाएगा।