प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा के दौरान एक खास परंपरा को अपनाते हुए “सोहारी के पत्ते” पर भोजन ग्रहण किया। यह केवल एक पारंपरिक भोज नहीं था, बल्कि भारतीय विरासत और कैरिबियन संस्कृति के गहरे संबंधों का प्रतीक भी बना।
क्या है सोहारी का पत्ता?
सोहारी के पत्ते, जिन्हें भारत में आमतौर पर साल या केले के पत्तों की तरह इस्तेमाल किया जाता है, कैरिबियन देशों में विशेष रूप से भारतवंशी समुदाय द्वारा परंपरागत आयोजनों में उपयोग में लाए जाते हैं। यह पत्ता शुद्धता, पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है।
सांस्कृतिक महत्व:
सोहारी के पत्ते पर भोजन करने की परंपरा भारत से कैरिबियन देशों में 19वीं शताब्दी में पहुँचे गिरमिटिया मजदूरों के साथ आई। आज यह न केवल भोजन परोसने का माध्यम है, बल्कि भारतीय पहचान, सादगी और प्रकृति के प्रति आदर का भी संदेश देता है।
PM मोदी का संदेश:
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम त्रिनिदाद और टोबैगो में बसे भारतीय मूल के लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह पत्ता सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय विरासत का जीवित प्रतीक है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है।”
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री द्वारा सोहारी के पत्ते पर भोजन करना एक प्रतीकात्मक और सार्थक संदेश है—जिसमें भारतीय संस्कृति की सार्वभौमिकता, उसकी स्वदेशी परंपराएं और उनकी वैश्विक उपस्थिति की झलक मिलती है।